Madhu Arora

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लेखनी कहानी -24-Dec-2021सोच का फर्क

सोच सोच का फर्क

सोच सोच का फर्क,
आज तुम्हें बतलाती हूं।
अपनी छोटी बुद्धि के,
कुछ राज तुम्हें समझाती हूं।
बीमारी को ना तुम देखो,
मन को परेशान करें किस कदर,
गहराई में ना लो उन बातों को।
आई है तो जाएगी,
थोड़ा इलाज करो तुम‌
थोड़ी दवाई खाओ तुम,
प्रसन्न रहो बस हर तरह।
असर करेगी दवाई तुरंत,
बुरा ना मानो किसी बात का।
देखो किसी भी तरह यहांँ,
जैसी जिसकी सोच यहांँ।
बोलेगा वह उसी तरह,
जो वह बोले माना तुमने लिया नहीं।
उसकी किसी गलत बात पर,
गुस्सा तुमने किया नहीं‌
तुम्हारे पास आया क्या भला,
जब तुमने कुछ लिया नहीं।
सोच सोच का फर्क यहां,
आज तुम्हें बतलाती हूं।
खुश रहो तुम देखकर सदा,
मुस्कुराते चेहरे से बात करो।
ना तुम कुछ लाए थे यहां,
बस इतना तुम ध्यान धरो।
प्यार की मीठी बोलो से,
दुनिया बनती मतवाली है।
मधु की छोटी बुद्धि में,
बात यही तो जमती है।
माना भूल हुई किसी से,
तूल तुमने दिया नहीं,
अपना दिल बड़ा रखकर।
जिक्र किसी से किया नहीं,
वह सम्मान करेगा तुम्हारा।
यह सब बातें मुझ को मेरे,
पापा तो समझाते थे।
लड़ाई झगड़े में ना पढ़ने का,
रहस्य  वह बतलाते थे‌
शायद सारी बातें तो,
अब इस दुनिया में बेमानी है।
मधु की  इन बातों कीमत,
कहांँ किसने जानी है।‌
       रचनाकार ✍️
       मधु अरोरा
       11.12.2021

   5
2 Comments

Farhad ansari

24-Dec-2021 10:40 PM

Wah!!

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Swati chourasia

24-Dec-2021 09:59 PM

Very nice 👌

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